*सरपंच ही करेंगे वंशावली निर्गत, पंच सरपंच संघ के आंदोलन का हुई जीत, हर्ष व्यक्त, दी वधाई - किरण देव यादव*

*वंशावली बनाने में काफी जटिल प्रक्रिया से पंचायत सचिव, न्याय सचिव, सरपंच व आमजनों के बीच हर्ष - विषाद दोनों व्याप्त*
*वंशावली बनाने हेतु सरल, सहज, सुलभ, सामान्य, व्यवहारिक, व पूर्ववत प्रक्रिया करने की जरूरत - किरण देव यादव*

खगड़िया। बिहार प्रदेश पंच सरपंच संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सह खगड़िया जिला अध्यक्ष किरण देव यादव ने पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह द्वारा सरपंच के माध्यम से ही वंशावली निर्गत करने की आदेश जारी करने पर हर्ष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि पंच सरपंच संघ का अनवरत आंदोलन की जीत हुई। श्री यादव ने बिहार के सभी पंच सरपंच एवं प्रदेश नेतृत्व को हार्दिक बधाई एवं विभाग को साधुवाद दिया। 

श्री यादव ने कहा कि सरपंच के द्वारा वंशावली निर्गत करने की आदेश से पंच सरपंच एवं आम जनों के बीच हर्ष एवं विषाद दोनों है। उन्होंने कहा कि विषाद इस मायने में कि वंशावली निर्गत करने की प्रक्रिया को काफी जटिल कठिन एवं असामान्य अव्यवहारिक प्रक्रिया बना दिया गया है जो सरपंच , सचिव एवं जनहित में नहीं है। इस प्रक्रिया से काफी समय एवं आम जनों का आर्थिक शोषण होगा, कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा एवं समय पर वंशावली निर्गत नहीं हो पाएगी, जनता त्राहिमाम रहेगी। कई जगह चक्कर काटना पड़ेगा। वंशावली बनाने में आम जनों का चप्पल घिस जाएगा। विभाग की दुर्भावना पूर्ण मानसिकता है कि जनता का काम नहीं हो घड़ी के पेंडुलम के तरह से चलता रहे।

श्री यादव ने वंशावली निर्गत करने की सहज सुलभ सामान्य प्रक्रिया बनाने का पंचायती विभाग बिहार से मांग किया है। विभाग प्रक्रिया में संशोधन करें अन्यथा वंशावली निर्गत करने में सरपंच, पंचायत सेवक, ग्राम कचहरी सचिव एवं आमजन परेशान एवं त्राहिमाम रहेंगे। उन्होंने पूर्ववत प्रक्रिया बहाल करने का अपील किया। यादव ने कहा कि इतना जटिल प्रक्रिया कोई भी प्रमाण पत्र बनाने में नहीं है। यह प्रक्रिया किसी भी सूरत में जनहित में नहीं है। घूमाकर नाक पकड़वाने वाली यह प्रक्रिया सभी को परेशान करने वाली है। इससे साफ झलकता है कि सरकार मंत्री के सकारात्मक निर्देश के बावजूद नौकरशाही अफसरशाही चरम पर है जो आम जनता के हित में भला कार्य करने से कोई मतलब नहीं रह गया है। अफसरशाही, सरकार पर हॉबी है।

श्री यादव ने कहा कि यह प्रक्रिया अजब गजब, तुगलगी फरमान एवं डपोड़शंखी  तथा ढाक के तीन पात साबित होगी।

श्री यादव ने कहा कि आम जनों को वंशावली बनाने हेतु पंचायत सेवक को आवेदन देना, कोर्ट से शपथ पत्र पर वंशावली का विवरण, स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र, जमीन संबंधी कागजात देना, ₹10 का फीस देकर रसीद कटाना, 7 दिन तक जांच करना, संतुष्ट हो जाने के बाद न्याय सचिव को भेजना, आवेदन का संधारण करना, पत्रांक दिनांक डालना, सरपंच को प्रेषित करना, आपत्ति नोटिस ग्राम कचहरी में चिपकाना, आपत्ति नहीं होने पर हस्ताक्षर मोहर लगाना, दो प्रति में बनाना, सचिव के द्वारा दो प्रति तैयार करना, रजिस्टर को सहेज कर रखना, 15 दिन तक निर्गत करना, अनुशंसा के बाद सरपंच के द्वारा निर्गत करने की बाध्यता होना, अभिलेख खोलना, पारिवारिक पंजी में नाम अंकित करना, निर्गत प्रति रिसीव कराना, आरटीपीएस काउंटर पर ऑनलाइन करने की प्रक्रिया बाद में शुरुआत करना, पदाधिकारी द्वारा समय-समय पर जांच करना, दोबारा वंशावली बनाने पर ₹100 का फीस जमा करना, रसीद कटाना, कागजात से संतुष्ट होकर ही वंशावली बनाने की प्रक्रिया शुरू करना, आदि प्रक्रिया से वंशावली बनाने हेतु जिलेबिया मोड़ कठिन जटिल रास्ते से गुजरना पड़ेगा।

श्री यादव ने कहा कि पंचायत सेवक, ग्राम कचहरी सचिव, सरपंच एवं आम जनता का सिर फुटोव्वल प्रक्रिया सिर दर्द का सबब बनकर रह जायेगा।

श्री यादव ने कहा कि वंशावली से पारिवारिक जमीन बंटवारा, पारिवारिक सूची, बैंकिंग राशि निकासी कार्य, फसल क्षतिपूर्ति, जमीन संबंधी रसीद कटाने,  मोटेशन कराने, एलपीसी बनाने, लोन लेने, आदि दर्जनों कार्य में वंशावली की जरूरत होती है जिसे लंबित करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है ताकि विवाद समस्या बनी रहे, तथा थाना कोर्ट कार्यालय का चक्कर काटते हुए आमजन आर्थिक मानसिक शारीरिक दोहन का शिकार होता रहे। इससे आम जनता में आक्रोश पनपेगा। जनाक्रोश उभरेगा। चुंकी उक्त प्रक्रिया समस्या सुलझाने के बजाय उलझाने वाली प्रक्रिया बनकर रह जाएगी।

श्री यादव ने पूर्ववत सहज प्रक्रिया सर्वजनहित में बनाने का मांग किया।

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