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राहुल गांधी को कोर्ट में बड़ी जीत मिलते ही छटपटाई BJP, खेला शुरू

 ### राहुल गांधी की लखनऊ कोर्ट से जमानत और वायरल तस्वीर का सच: एक विस्तृत रिपोर्ट



साथियों, नमस्कार! मैं रंजीत झा, और आपका स्वागत है *द समाचार एक्सप्रेस* के लाइव मंच पर। आज का दिन भारतीय राजनीति के लिए बेहद चर्चित रहा, खासकर राहुल गांधी के नाम से। 15 जुलाई 2025 को लखनऊ कोर्ट से उन्हें एक मानहानि केस में बड़ी राहत मिली, जिसने पूरे देश में सियासी हलचल मचा दी। इस घटना से जुड़ी एक तस्वीर वायरल हुई, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए। क्या वाकई जज राहुल गांधी के फैन हैं? क्या यह तस्वीर सच्चाई बयान करती है? आज हम इस पूरे मसले की गहराई से पड़ताल करेंगे और फैक्ट्स के साथ सच्चाई आपके सामने रखेंगे।, तो चलिए शुरू करते हैं।

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#### लखनऊ कोर्ट में राहुल गांधी की जीत

आज, यानी 15 जुलाई 2025 को, राहुल गांधी, जो लोकसभा में विपक्ष के नेता और रायबरेली से सांसद हैं, लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश हुए। यह केस 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उनके कथित तौर पर भारतीय सैनिकों के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने से जुड़ा था। इस मामले में लंबे समय से सुनवाई चल रही थी, और कई बार समन जारी होने के बावजूद राहुल पेश नहीं हो सके थे। लेकिन आज, भारी बारिश और कड़ी सुरक्षा के बीच, उनके समर्थक सैकड़ों की संख्या में कोर्ट परिसर में जमा हो गए। इस माहौल में एडिशनल चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट (ACJM) आलोक वर्मा ने सुनवाई की और राहुल गांधी को जमानत दे दी।


राहुल ने कोर्ट में अपना आधार कार्ड पेश किया और शांतिपूर्वक प्रक्रिया का पालन किया। उनके वकील प्रंशु अग्रवाल ने दलीलें पेश कीं, जबकि विरोधी पक्ष ने आरोप लगाया कि राहुल के समर्थक जानबूझकर कोर्ट पर दबाव बना रहे हैं। फिर भी, जज ने अपने चेंबर में जाकर ऑर्डर टाइप करवाया और जमानत मंजूर कर दी। यह राहत सिर्फ लखनऊ तक सीमित नहीं रही; पुणे में सावरकर से जुड़े मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी राहुल को राहत दी, जहां याचिकाकर्ता पंकज फडनवीस की याचिका खारिज कर दी गई। इन घटनाओं ने साफ कर दिया कि राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे केसों में अब हर अदालत सावधानी से कदम उठा रही है।


#### वायरल तस्वीर का सच

इस जीत के बाद सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें एक व्यक्ति—जो कथित तौर पर जज बताया गया—राहुल गांधी और वकीलों के साथ सेल्फी लेता नजर आ रहा है। पोस्ट करने वाले संदीप सिंह ने लिखा, "जज ख़ुद राहुल गांधी का फैन है, भाड़ में जाए मुकदमा और तारीख़।" इस तस्वीर को बीजेपी के आईटी सेल ने इस तरह पेश किया, मानो जज ने राहुल के प्रभाव में आकर फैसला सुनाया हो। लेकिन क्या यह सच है?


मैंने इसकी गहन जांच की। लखनऊ कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट (डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस कोर्ट लखनऊ) पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इस मामले की सुनवाई ACJM आलोक वर्मा ने की। उनकी आधिकारिक तस्वीर वेबसाइट पर मौजूद है, जो युवा और बालों वाले व्यक्ति की है। वहीं, वायरल तस्वीर में सेल्फी लेने वाला व्यक्ति वृद्ध और गंजे सिर वाला है, जो आलोक वर्मा से मेल नहीं खाता। इसके अलावा, कोर्ट रूम में जज का सेल्फी लेना भारतीय न्यायिक प्रणाली में असामान्य और अनैतिक माना जाता है।


हकीकत यह है कि सेल्फी लेने वाला व्यक्ति जज नहीं, बल्कि एक वकील है, जो राहुल गांधी के समर्थकों में शामिल हो सकता है। यह तस्वीर जानबूझकर गलत संदर्भ में पेश की गई ताकि राहुल और न्यायपालिका के बीच कथित सांठगांठ का भ्रम फैलाया जा सके। मेरे कम्युनिटी पोस्ट में भी मैंने इसकी ओर इशारा किया था, और आज लाइव सेशन में इसे और स्पष्ट किया।


#### राजनीतिक मंशा और बीजेपी की रणनीति

राहुल गांधी के खिलाफ केसों की बाढ़ कोई नई बात नहीं है। चाहे गुजरात में मोदी सरनेम मामले में उनकी सांसद सदस्यता छीनना हो, या लखनऊ-पटना-रांची में मानहानि के केस, बीजेपी का एकमात्र मकसद उन्हें राजनीतिक रूप से अक्षम करना रहा है। 2023 में गुजरात हाईकोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई थी, जिससे राहुल अयोग्य हो गए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप कर उन्हें राहत दी। तत्कालीन चीफ जस्टिस बीआर गवई ने गुजरात की निचली अदालत और हाईकोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए, जिससे स्पष्ट हुआ कि इन केसों में राजनीतिक दबाव हो सकता है।


बीजेपी का आईटी सेल इस तरह की तस्वीरों और गलत सूचनाओं के जरिए जनता के बीच भ्रम पैदा करता है। अमित मालवीय जैसे नेता सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं, ताकि राहुल की लोकप्रियता को कम किया जा सके। लेकिन लखनऊ में आज जो माहौल देखने को मिला—राहुल के समर्थकों की भारी भीड़ और उनका आत्मविश्वास—उसने साबित कर दिया कि उनकी पकड़ मजबूत हो रही है। निशांत अग्रवाल जैसे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का दावा है कि यह 2027 के यूपी चुनाव में कांग्रेस के लिए लाभकारी साबित होगा।


#### राहुल गांधी का प्रभाव और जन समर्थन

लखनऊ कोर्ट के बाहर राहुल के समर्थकों ने "वी आर प्राउड ऑफ यू राहुल सर" के नारे लगाए। यह दर्शाता है कि उनकी लोकप्रियता, खासकर युवाओं और अल्पसंख्यक समुदायों में, बढ़ रही है। उनकी कार्यशैली—चाहे सड़क पर चलना हो या कोर्ट में शांतिपूर्वक पेश होना—एक अलग "ओरा" पैदा करती है। लोग उन्हें भविष्य के प्रधानमंत्री के रूप में देखने लगे हैं, जैसा कि कई लाइव कमेंट्स में देखा गया।


दूसरी ओर, विरोधी उनकी नागरिकता और सावरकर जैसे मुद्दों को उठाकर उन्हें घेरने की कोशिश कर रहे हैं। पुणे में सावरकर के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि राहुल को सावरकर के बारे में पढ़ने का आदेश नहीं दिया जा सकता, और सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देते हुए हस्तक्षेप से इनकार किया। यह दिखाता है कि न्यायपालिका अब इन राजनीतिक साजिशों से सतर्क है।


#### सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया

मेरे लाइव सेशन में दर्शकों ने सक्रिय भागीदारी की। हरिशंकर रॉय (नंबर 1 फैन) ने सावरकर को "माफीवीर" कहते हुए राहुल का समर्थन किया, जबकि अजय मिश्रा ने सेना के हस्तक्षेप की मांग की। मुस्ताक खान ने सुझाव दिया कि राहुल को मानहानि का काउंटर केस करना चाहिए। ये प्रतिक्रियाएं दर्शाती हैं कि जनता दो ध्रुवों में बंटी है—एक पक्ष राहुल को राष्ट्रीय नेता मानता है, तो दूसरा उन्हें निशाना बनाता है।


#### मेरे लाइव सेशन का अनुभव

आज पहली बार लैपटॉप से लाइव आया, ताकि विजुअल्स और डेटा सीधे दिखा सकूं। लगभग 34 मिनट का यह सेशन दर्शकों के साथ बातचीत का मंच बना। कई लोगों ने फिक्स्ड टाइम की मांग की, लेकिन खबरों की तात्कालिकता के कारण यह मुश्किल है। मैंने कम्युनिटी पोस्ट के जरिए नोटिफिकेशन भेजने का तरीका सुझाया। साथ ही, ₹29 की मेंबरशिप और शॉपिंग लिंक के जरिए समर्थन की अपील की, ताकि रिसर्च और रिपोर्टिंग का खर्च उठ सके। 4200 सब्सक्राइबर्स का परिवार मेरे लिए प्रेरणा है, और आपका सहयोग इसे बढ़ाएगा।


#### बिहार का वोटर लिस्ट विवाद

लाइव में मैंने बिहार के वोटर लिस्ट संशोधन का मुद्दा भी उठाया, जहां चुनाव आयोग अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहा है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट और मेरी पिछली रिपोर्टिंग से साफ है कि 2019 तक आयोग ने घुसपैठ से इनकार किया था, लेकिन अब उलट बयान दे रहा है। यह बीजेपी की सियासी चाल हो सकती है, और राहुल या तेजस्वी यादव इसे राष्ट्रीय मंच पर उठा सकते हैं।


#### निष्कर्ष

राहुल गांधी की लखनऊ कोर्ट से जमानत और वायरल तस्वीर का सच सामने आया है। यह तस्वीर जज की नहीं, बल्कि वकील की है, और बीजेपी ने इसे गलत संदर्भ में पेश किया। न्यायपालिका सावधान है, और राहुल का जनाधार मजबूत हो रहा है। लेकिन राजनीतिक षड्यंत्र रुकने का नाम नहीं ले रहे। हमारी जिम्मेदारी है कि फैक्ट्स के साथ सच को उजागर करें। आपकी प्रतिक्रियाएं और समर्थन इस मिशन को आगे बढ़ाएंगे। धन्यवाद, और जल्द मिलते हैं नई खबर के साथ!


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