The Samachar Express

पूर्व CM के बेटे की अरेस्टिंग से ठीक पहले ED के नामी डायरेक्टर रहे IRS का इस्तीफा, क्या है खेल...

Watch Video : पूर्व CM के बेटे की अरेस्टिंग के बीच ED के नामी डायरेक्टर का इस्तीफा, शाह के उड़े होश, बड़े खेल का फूटा..



# कपिल राज का इस्तीफा और चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी: दो घटनाएं, एक साज़िश?


नमस्कार दोस्तों, मैं हूं रंजीत झा और आप पढ़ रहे हैं देश समाचार एक्सप्रेस। आज हम चर्चा करेंगे दो बेहद अहम घटनाओं की—ईडी के एडिशनल डायरेक्टर कपिल राज का इस्तीफा और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी। इन दोनों खबरों के बीच कोई संयोग है या यह किसी गहरी रणनीति की आहट है?

Watch Video : पूर्व CM के बेटे की अरेस्टिंग के बीच ED के नामी डायरेक्टर का इस्तीफा, शाह के उड़े होश, बड़े खेल का फूटा.. 



## कपिल राज: एक ईमानदार अफसर या राजनीतिक मोहरा?


कपिल राज भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के वरिष्ठ अधिकारी थे जिन्हें प्रतिनियुक्ति पर ईडी भेजा गया था। उनका कार्यकाल ईडी में बेहद प्रभावशाली रहा। उन्होंने दिल्ली शराब घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल भेजा, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कराया और कई आईएएस और मंत्रियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया। ऐसे अफसर का अचानक इस्तीफा देना तमाम सवाल खड़े करता है।


यह इस्तीफा उनके मूल विभाग जीएसटी इंटेलिजेंस में वापसी के कुछ ही महीनों के भीतर आया—17 जुलाई 2025 को। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने प्रेसिडेंट द्वारा उनके इस्तीफे को स्वीकार किए जाने की पुष्टि भी कर दी। सवाल यह है कि जब उनके पास अब भी 15 साल की सेवा बची थी, प्रमोशन मिल चुका था, तो ऐसा क्या कारण रहा जिसने उन्हें यह कठोर फैसला लेने पर मजबूर किया?


## क्या कपिल राज को महसूस हुआ धोखा?


ईडी में उनका कार्यकाल विपक्ष के नेताओं पर कार्रवाई के लिए जाना गया। क्या उन्हें एहसास हुआ कि वो एक सिस्टम का हिस्सा बन गए हैं जहां जांच के पीछे राजनीतिक उद्देश्य छुपे होते हैं? क्या उन्होंने इसीलिए इस्तीफा दिया ताकि अपनी गरिमा बचा सकें?


यह इस्तीफा ऐसे समय आया जब एक और बड़ी गिरफ्तारी हुई—18 जुलाई को, ठीक उनके इस्तीफे के अगले दिन।


## चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी: कानून का पालन या बदले की कार्रवाई?


ईडी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को 1000 करोड़ के कथित शराब घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया। दिलचस्प बात यह है कि गिरफ्तारी उनके जन्मदिन पर हुई। भूपेश बघेल ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की ओर से जन्मदिन पर 'भेंट' बताया।


क्या यह गिरफ्तारी अडानी समूह के खिलाफ बघेल के विरोध का दमन थी? या फिर यह संयोग मात्र है? विपक्ष की तरफ से ऐसे आरोप बार-बार उठते हैं कि जांच एजेंसियां सरकार के इशारे पर काम करती हैं।


## घटनाओं का समय और पैटर्न


यदि हम ईडी की कार्रवाईयों पर नज़र डालें, तो एक खास पैटर्न दिखाई देता है—सदन की प्रक्रिया शुरू होने पर, चुनाव के करीब या जन्मदिन जैसे प्रतीकात्मक दिन पर बड़े राजनीतिक चेहरों की गिरफ्तारी। कपिल राज के इस्तीफे के ठीक बाद चैतन्य की गिरफ्तारी, क्या इसे महज संयोग कहा जा सकता है?


## एजेंसियों की निष्पक्षता पर सवाल


कपिल राज जैसे अधिकारी का इस्तीफा यह संकेत दे सकता है कि एजेंसियों के अंदर भी असंतोष है। क्या ऐसे अफसर अपने अंतरात्मा की आवाज़ सुनते हुए सिस्टम से अलग हो जाते हैं? क्या उन्हें लगता है कि वो राजनीतिक खेल में मोहरे बनते जा रहे हैं?


ईडी और CBI जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोप समय-समय पर लगते रहे हैं। सवाल यह उठता है कि क्या लोकतंत्र में जांच एजेंसियों की निष्पक्षता बची है या वह भी राजनीतिक रंगों में रंग गई हैं?

मीडिया की भूमिका: सवाल पूछना या चुप रहना?


जब ऐसे संवेदनशील मसले सामने आते हैं तो मीडिया की भूमिका बेहद अहम होती है। क्या मीडिया ने इन सवालों को उठाया? या वह भी केवल एक पक्ष की कहानी पर संतोष करता है? जब विपक्षी नेताओं के करीबी निशाने पर आते हैं, तो क्या हम दूसरे पक्ष को भी सुनने की कोशिश करते हैं?


लोकतंत्र की मजबूती सवालों से होती है—और सवाल पूछना ही सबसे बड़ा देशभक्तिक कर्तव्य है।


## निष्कर्ष: एक गहरी कहानी जो अभी अधूरी है


कपिल राज का इस्तीफा और चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी—इन दोनों घटनाओं का समय, पृष्ठभूमि और प्रभाव हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमारे लोकतंत्र में सब कुछ सामान्य है या इसके पीछे कोई गहराई है जिसे अनदेखा किया जा रहा है?


इन सवालों का जवाब शायद अभी न मिले, लेकिन सवालों को उठाना और उन्हें चर्चा का विषय बनाना ही पहला कदम है।


एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने