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Justice yashwant varma ने झोंकी वकीलों की फौज,फिर तो CJI Gavaiने ले लिया बड़ा फैसला, इधर कर्नल सोफिया केस में...



# 🏛️ सुप्रीम कोर्ट में दो बड़े मामले: जस्टिस यशवंत वर्मा और कर्नल सोफिया कुरैशी केस की पूरी रिपोर्ट **लेखक: रंजीत झा | स्रोत: देश समाचार एक्सप्रेस** 

सुप्रीम कोर्ट से दो बड़ी खबरें सामने आई हैं, जिनका असर न केवल न्यायपालिका पर बल्कि देश की राजनीति और सैन्य प्रतिष्ठान पर भी पड़ सकता है। पहला मामला है जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़ा नकदी कांड, और दूसरा है कर्नल सोफिया कुरैशी पर मंत्री विजय शाह की विवादित टिप्पणी।

देखिए वीडियो: कैशकांड में ज. वर्मा ने झोंकी वकीलों की फौज, CJI गवई ने भी उठाया बड़ा कदम

इस वीडियो में जानिए कैसे जस्टिस यशवंत वर्मा के बचाव में देश के नामी वकील सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और CJI गवई ने खुद को केस से अलग कर लिया। साथ ही जानिए कर्नल सोफिया कुरैशी केस में सुप्रीम कोर्ट की नई कार्रवाई।

वीडियो स्रोत: देश समाचार एक्सप्रेस | प्रस्तुतकर्ता: रंजीत झा

## ⚖️ मामला 1: जस्टिस यशवंत वर्मा और नकदी कांड

 जस्टिस यशवंत वर्मा इस वक्त एक गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। उनके खिलाफ संसद में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। आरोप है कि उनके आवास से नकदी बरामद हुई, जिसे लेकर कई सवाल उठे हैं। इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि उन्हें बचाने के लिए देश के नामी वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी, सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में उनके पक्ष में खड़े हो गए।

 ### 🧑‍⚖️ सीजेआई गवई का रुख

 मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने इस मामले में एक बड़ा कदम उठाया। उन्होंने खुद को इस केस से अलग कर लिया क्योंकि वह कॉलेजियम की उस बैठक का हिस्सा थे जिसमें यशवंत वर्मा के खिलाफ कार्रवाई पर चर्चा हुई थी। गवई साहब ने कहा, “यह उचित नहीं होगा कि मैं इस मामले को सुनूं क्योंकि मैं उस बातचीत का हिस्सा था।” इसके साथ ही उन्होंने एक नई बेंच गठित करने की घोषणा की जो यह तय करेगी कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों में कितनी सच्चाई है। यह बेंच तीन न्यायाधीशों की होगी जिसमें जस्टिस विनोद चंद्रन और जस्टिस जॉय मालिया बाग शामिल हैं। 

 ### 📜 याचिका के मुख्य बिंदु 

यशवंत वर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि इंटरनल जांच समिति ने उन्हें जवाब देने का उचित अवसर नहीं दिया। समिति ने पूर्व निर्धारित तरीके से कार्यवाही की और बिना ठोस सबूतों के प्रतिकूल निष्कर्ष निकाले। उनका आरोप है कि उन्हें साजिशन फंसाया जा रहा है। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि उनके आवास से जो नकदी मिली, वह किसकी थी? उसे जलाने की कोशिश क्यों की गई? और इन सब पर उन्होंने संतोषजनक जवाब क्यों नहीं दिए?

 ### 🧩 संवैधानिक संकट 

 यह मामला केवल एक न्यायाधीश के खिलाफ आरोपों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में निष्पक्ष जांच करता है और दोष सिद्ध होता है, तो यह न्यायिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। --- ## 🪖 मामला 2: कर्नल सोफिया कुरैशी और मंत्री विजय शाह की टिप्पणी दूसरा मामला है कर्नल सोफिया कुरैशी से जुड़ा, जिन पर मंत्री विजय शाह ने बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले से उन्हें जोड़ते हुए “आतंकवादियों की बहन” जैसे शब्दों का प्रयोग किया, जो न केवल व्यक्तिगत अपमान है बल्कि सेना और देश की एकता पर भी चोट है। ### 

🧑‍⚖️ सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया 

 इस मामले में पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी गठित की थी जिसमें वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को शामिल किया गया था। लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार, मंत्री विजय शाह से पूछताछ तक नहीं की गई। जांच की धीमी गति और कार्रवाई की कमी ने सामाजिक कार्यकर्ता जया ठाकुर को फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर मजबूर कर दिया।

 ### 📜 नई याचिका के मुख्य बिंदु

 23 जुलाई 2025 को दायर याचिका में जया ठाकुर ने कहा कि विजय शाह का बयान संविधान के अनुच्छेद 164(3) का उल्लंघन है, जो मंत्रियों को शपथ के प्रति जवाबदेह बनाता है। उन्होंने मांग की है कि विजय शाह को मंत्री पद से हटाया जाए।

 ### 🧠 संवैधानिक और नैतिक सवाल 

 यह मामला केवल एक मंत्री की टिप्पणी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सवाल उठाता है कि क्या सार्वजनिक पदों पर बैठे लोग किसी भी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ बिना प्रमाण के बयान दे सकते हैं? क्या ऐसे लोगों को पद पर बने रहने का अधिकार है? 

 --- ## 🧭 निष्कर्ष: 

दोनों मामलों का महत्व इन दोनों मामलों में एक समानता है—संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा और जवाबदेही। जस्टिस यशवंत वर्मा का मामला न्यायपालिका की पारदर्शिता और आंतरिक जांच की प्रक्रिया पर सवाल उठाता है, वहीं कर्नल सोफिया कुरैशी का मामला राजनीतिक नैतिकता और सैन्य प्रतिष्ठान के सम्मान से जुड़ा है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने दोनों मामलों में संतुलित और संवेदनशील रुख अपनाया है। उन्होंने यशवंत वर्मा केस में खुद को अलग कर लिया और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए नई बेंच गठित की। वहीं कर्नल कुरैशी मामले में भी उन्होंने पहले एसआईटी गठित की थी और अब नई याचिका पर सुनवाई की संभावना है। 

 --- ## 📅 आगे क्या? 

अब देश की नजरें सुप्रीम कोर्ट की अगली कार्यवाही पर टिकी हैं। क्या जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषमुक्त किया जाएगा या उनके खिलाफ कार्रवाई होगी? क्या मंत्री विजय शाह को उनके पद से हटाया जाएगा या उन्हें चेतावनी दी जाएगी? इन दोनों मामलों में आने वाले फैसले भारत के लोकतंत्र, न्याय व्यवस्था और संवैधानिक मूल्यों की दिशा तय करेंगे।

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