भारत में चुनाव आयोग के खिलाफ बढ़ता विवाद: राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया
Ranjeet Jha/ The Samachar Express : भारत में लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया को लेकर एक नया विवाद उभर कर सामने आया है, जिसमें विपक्षी नेता राहुल गांधी और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग (ECI) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यह विवाद मुख्य रूप से बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision - SIR) और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर है। दोनों नेताओं ने चुनाव आयोग पर मनमानी और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है, जिसके कारण देश में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। इस रिपोर्ट में इस मुद्दे के प्रमुख पहलुओं, नेताओं की प्रतिक्रियाओं और इसके व्यापक प्रभावों का विश्लेषण किया गया है।
चुनाव आयोग पर आरोप और विवाद की शुरुआत
चुनाव आयोग ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि उसके पास नागरिकता सत्यापन का अधिकार है, जो सामान्यतः भारत सरकार के गृह मंत्रालय के पास होता है। इस बयान ने विपक्षी दलों का ध्यान आकर्षित किया, खासकर बिहार में चल रही मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को लेकर। बिहार में मतदाता सूची के अपडेशन के दौरान लाखों मतदाताओं के नाम हटाए जाने और स्थानांतरित किए जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा करार दिया है।
राहुल गांधी ने कड़े शब्दों में कहा कि चुनाव आयोग के अधिकारी अपनी मनमानी के लिए जवाबदेह होंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर वे सत्ता में आए, तो कानूनी कार्रवाई के तहत आयोग के अधिकारियों को जवाब देना होगा। गांधी ने दावा किया कि उनके पास 100% सबूत हैं कि चुनाव आयोग ने बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, दिल्ली और हरियाणा जैसे राज्यों में अनुचित तरीके से काम किया है। खासकर कर्नाटक में एक निर्वाचन क्षेत्र में गड़बड़ी के सबूत मिलने का दावा किया गया है।
तेजस्वी यादव ने भी बिहार में मतदाता सूची संशोधन को "खुल्लम-खुल्ला बेईमानी" करार देते हुए चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर आयोग की मनमानी नहीं रुकी, तो बिहार में महागठबंधन 2025 के विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर सकता है। यह बयान लोकतंत्र में एक अभूतपूर्व स्थिति को दर्शाता है, जहां एक प्रमुख विपक्षी दल चुनावी प्रक्रिया से ही बाहर होने की बात कर रहा है।
बिहार में मतदाता सूची संशोधन का विवाद
चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन के तहत कई चौंकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए। इनमें शामिल हैं:
1. 18 लाख से अधिक मृत मतदाताओं के नाम हटाए गए: तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया कि 25 जनवरी 2025 को समरी रिवीजन के दौरान ये मृत मतदाता क्यों नहीं पकड़े गए? क्या आयोग उस समय "सो रहा था"? उन्होंने बिना भौतिक सत्यापन के इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं को मृत घोषित करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए।
2. 26 लाख मतदाता स्थानांतरित: आयोग ने दावा किया कि 26 लाख से अधिक मतदाता अपने विधानसभा क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित हो गए। विपक्ष ने इसे अविश्वसनीय बताते हुए पूछा कि बिना घर-घर सत्यापन के यह कैसे संभव है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग कुछ महीनों में स्थानांतरित हो गए?
3. 7 लाख मतदाताओं के नाम दो जगह: आयोग ने कहा कि 7 लाख मतदाताओं के नाम दो जगह पाए गए। तेजस्वी ने सवाल किया कि इसकी पुष्टि के लिए क्या व्यक्तिगत नोटिस भेजे गए और कितनों ने जवाब दिया?
4. 6.62% मतदाता अनुपस्थित: आयोग ने दावा किया कि 6.62% मतदाता अपने पते पर नहीं पाए गए। विपक्ष ने इसे मनमानी बताया और पूछा कि क्या बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) ने वास्तव में घर-घर जाकर सत्यापन किया?
कुल मिलाकर, 52 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए जाने या स्थानांतरित किए जाने की प्रक्रिया को विपक्ष ने सत्ता पक्ष के इशारे पर चुनावी गणित साधने की साजिश करार दिया। विशेष रूप से कमजोर वर्ग, अल्पसंख्यक, दलित और विपक्षी समर्थकों के नाम हटाए जाने का आरोप है।
चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल
चुनाव आयोग की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने पूछा कि अगर बीजेपी के 52,946 पंजीकृत बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) हैं, तो क्या उन्होंने कभी विदेशी नागरिकों का मुद्दा उठाया? आयोग ने 2003 के मानकों के आधार पर विदेशी नागरिकों की पहचान की बात कही, लेकिन इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं दिया। इसके अलावा, 2019 तक आयोग ने गुजरात और बंगाल को छोड़कर कहीं भी विदेशी नागरिकों की मौजूदगी से इनकार किया था, लेकिन अब बिहार में अचानक बांग्लादेशी और नेपाली नागरिकों का मुद्दा उठाया जा रहा है।
विपक्ष का कहना है कि आयोग की यह कार्यवाही बीजेपी के राजनीतिक हितों को साधने के लिए है। राहुल गांधी ने इसे "लोकतंत्र के साथ खिलवाड़" करार दिया और कहा कि अगर आयोग अपनी मनमानी नहीं रोकेगा, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं
इस विवाद ने बिहार की राजनीति को गरमा दिया है। नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू और बीजेपी पर विपक्ष ने निशाना साधा है। जेडीयू के सांसद गिरधारी लाल यादव ने भी आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बिहार की राजनीति और भूगोल को समझने में नाकाम रहा है।
तेजस्वी यादव ने महागठबंधन के संभावित चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। अगर विपक्ष चुनाव से बाहर होता है, तो यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा संकट होगा।
राहुल गांधी ने संसद भवन के बाहर प्रदर्शन के दौरान आयोग को "बकवास आयोग" करार दिया और कहा कि यह भारत के चुनाव आयोग की तरह काम नहीं कर रहा। उनके दावे और सबूतों ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है।
निष्कर्ष
चुनाव आयोग पर लगे ये आरोप लोकतंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने आयोग की कार्यप्रणाली को चुनौती देते हुए इसे सत्ता पक्ष के हित में काम करने वाला बताया है। बिहार में मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और मनमानी के आरोपों ने इस विवाद को और गंभीर बना दिया है। अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो बिहार में चुनाव बहिष्कार जैसे कदम से राजनीतिक संकट गहरा सकता है। यह मुद्दा न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा है।
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